Ketu ka 12 Bhavo Me Fal | कुंडली के बारह 12 भावों में केतु का प्रभाव

आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएँगे केतु का १२ भावो में फल (Ketu ka 12 Bhavo Me Fal) | कुंडली के बारह (१२) भाव में केतु का प्रभाव, आपको तो पता ही होगा की कुंडली देखते समय 12 भावो का अध्ययन किया जाता है।

साथ ही हर घर या भाव का अपना एक प्रभाव होता है लेकिन इन 12 भावो में केतु यदि बैठ जाय तो इसका फल आपकी जिंदगी में क्या मिलेगा इस आर्टिकल में हम जानेंगे। तो आइये जानते है केतु का 12 भावो में फल (Ketu ka 12 Bhavo Me Fal) के बारे में।

Ketu ka 12 Bhavo Me Fal
Ketu ka 12 Bhavo Me Fal

केतु का १२ भावो में फल (Ketu ka 12 Bhavo Me Fal)

पहले भाव में केतु का फल

पहले भाव को हम लग्न भी कहते है, यह हमारे वयक्तित्व को रिप्रेजेंट करता है। लग्न में यदि केतु बैठ जाये तो शारीरिक सुख की अपेक्षा करने का त्याग होने लगता है, अंहकार और  स्वाभिमान का त्याग हो जाता है, साथ ही गले के ऊपर के किसी अंग में कमजोरी भी आ जाती है।

दूसरे भाव में केतु का फल

द्वितीय भाव हमारे कुटुंब परिवार को रिप्रेजेंट करता है। कुटुंब और परिवार से मदद की अपेक्षा खत्म सी हो जाती है यदि आपके द्वितीय भाव में केतु है तो, साथ ही जो भी पैतृक संपत्ति है उसका मोह भी नहीं रहता है, आपके गर्दन या वाणी में कोई तकलीफ हो सकती है।

तृतीय भाव में केतु का फल

तृतीय भाव भाव में केतु के होने पर भाई और बहनो से कोई भी सहयोग पाने की इक्छा का त्याग होने लगता है। आपके अंदर पराक्रम की कमी दिखाई देने लगती है। आपको छाती से सम्बंधित कोई दिक्कत हो सकती है।

चतुर्थ भाव में केतु का फल

चतुर्थ भाव में केतु के होने से मकान या जायदाद के मोह का त्याग होने लगता है, साथ ही पारिवारिक सुख के साथ ही साथ माता के सुख में भी कमी आती है। मानसिक स्तर पर तनाव रहने लगता है, ह्रदय से सम्बंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

पंचम भाव में केतु का फल

पंचम भाव में के तू के होने पर संतान सुख की कमी का त्याग हो सकता है, साथ ही प्रेम सम्बन्ध में दिक्कते भी आ सकती है, शिक्षा से लाभ में कमी आती है, नाम और यश कमाने की इक्छा में भी कमी आती है। पाचन शक्ति से सम्बंधित भी दिक्कते होनी संभव है।

खष्टम भाव में केतु का फल

खष्टम भाव में केतु के होने पर ननिहाल पक्ष से ज्यादा नहीं बनती है या मामा से मोह का भांग होने लगता है, नौकरी काम में व्यवधान आना संभव है, पेट से सम्बंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

सप्तम भाव में केतु का फल

सप्तम भाव में केतु के होने पर जीवनसाथी अथवा पार्टनर से मदद की ईच्छा काम होने लगती है, यदि आप पुरुष है तो आपको पुरुष जनित रोग होने की संभावना रहती है या आप स्त्री है तो आप को स्त्री जनित रोग होने की संभावना रहती है। जीवन साथी के साथ नीरसता की भावना का उत्पन्न होना संभव हो सकता है।

अष्टम भाव में केतु का फल

अष्टम भाव में केतु के होने पर ससुराल पक्ष से मोह का भांग होना संभव हो सकता है, आप पुरुष हो या स्त्री गुप्त रोग से ग्रसित हो सकते है, जीवन में उत्तेजना की कमी भी आ सकती है, मूत्र से सम्बंधित रोग भी आपको हो सकते है।

नवम भाव में केतु का फल

नवम भाव में केतु के होने पर वैराग्य का भाव उत्त्पन्न हो सकता है, अपने भाई और बन्धुवों से दुरी हो सकती है, आपके घुटने के ऊपर जांघों में तकलीफ भी हो सकती है।

दशम भाव में केतु का फल

दशम भाव में केतु के होने पर आपको अपने ही कर्म पर भरोसा करना चाहिए किसी और की आशा से कुछ ज्यादा प्राप्त नहीं हो सकता है, पिता के सहयोग में कमी आ सकती है या पिता से सहयोग लेने की भावना में भी कमी आ सकती है , नौकरी हो या व्यवसाय से दुरी बनाने का मन हो सकता है इसलिए थोड़ी काम पर विशेष ध्यान देना चाहिए, घुटनों में तकलीफ संभव है।

एकादश भाव में केतु का फल

एकादश भाव में केतु के होने पर आपके अपने मित्रो के सुख में कमी आ सकती है, साथ ही भाई के सुख में भी कमी हो सकती है हो सकता है आपका कोई भाई हो ही ना, साथ ही पैरों में तकलीफ हो सकती है।

द्वादश भाव में केतु का फल

द्वादश भाव में केतु के होने पर शय्या सुख का त्याग हो सकता है, भोग विलास के जीवन से त्याग हो सकता है, व्यय का त्याग भी संभव है, साथ ही आँखों और पैरों में तकलीफ हो सकती है।

दोस्तों आपको मेरा यह आर्टिकल केतु का 12 भावों में फल (Ketu ka 12 Bhavo Me Fal) कैसा लगा, कमेंट करके जरूर बताइयेगा। दोस्तों यदि आप अपने जन्म कुंडली का विश्लेषण हमारे World Class Astro Expert से कराना चाहते है तो आप हमें संपर्क कर सकते है। 

धन्यवाद!

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